मानव शरीर की संरचना और तंत्र

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मानव शरीर अनेक तंत्रों का संगठित रूप है, जहां कोशिकाएं सबसे छोटी इकाई होती हैं। आइए, मानव शरीर की संरचना और तंत्र का संक्षेप में अध्ययन करें।

कोशिका से मानव शरीर तक का सफर

  1. कोशिका (Cell): शरीर की मूलभूत संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है। विभिन्न कोशिकाएँ मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं।
  2. ऊतक (Tissue): समान कार्य करने वाली कोशिकाएँ मिलकर ऊतक बनाती हैं। उदाहरण: पेशी ऊतक, अस्थि ऊतक आदि।
  3. अंग (Organ): विभिन्न ऊतक मिलकर अंग का निर्माण करते हैं। जैसे: हृदय, यकृत आदि।
  4. अंग तंत्र (Organ System): विभिन्न अंग मिलकर एक विशिष्ट क्रिया को सम्पादित करते हैं और एक तंत्र का निर्माण करते हैं। उदाहरण: पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र आदि।
  5. मानव शरीर (Human Body): सभी अंग तंत्र मिलकर सम्पूर्ण मानव शरीर का निर्माण करते हैं।

मानव शरीर की संरचना और तंत्र और उनके कार्य

पाचन तंत्र (Digestive System)

पाचन तंत्र भोजन के अन्तर्ग्रहण से लेकर मल त्याग तक अनेक अंगों और ग्रंथियों का समूह है। यह तंत्र विभिन्न रासायनिक क्रियाओं और एंजाइमों की सहायता से भोजन को सरल, छोटे और घुलनशील पदार्थों में परिवर्तित करता है।

  • आहार नाल (Alimentary Canal): इसकी लम्बाई करीब 8-10 मीटर होती है।
  • मुख (Mouth)
  • ग्रसनी (Pharynx)
  • ग्रासनली (Esophagus)
  • आमाशय (Stomach)
  • छोटी आँत (Small Intestine)
  • बड़ी आँत (Large Intestine)
  • मल द्वार (Anus)
  • पाचन ग्रंथियाँ (Digestive Glands): तीन प्रकार की होती हैं।
    लार ग्रन्थि (Salivary Gland)
    यकृत ग्रन्थि (Liver)
    अग्नयाशय (Pancreas)
  • संवरणी पेशियाँ (Sphincters): यह भोजन, पाचित भोजन रस और अवशिष्ट की गति को नियंत्रित करती हैं।
  • दाँत (Teeth): मुख में चार प्रकार के दाँत पाए जाते हैं:
  • कृन्तक (Incisors)
  • रदनक (Canines)
  • अग्र चर्वणक (Premolars)
  • चर्वणक (Molars)
CC: Khan Sir youtube channel

श्वसन तंत्र (Respiratory System)

श्वसन तंत्र में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का विनिमय होता है।

  • ऊपरी श्वसन तंत्र (Upper Respiratory System): नासिका, मुख, ग्रसनी, स्वरयंत्र आदि सम्मिलित हैं।
  • निचला श्वसन तंत्र (Lower Respiratory System): श्वास नली, फेफड़े, श्वसनी (Bronchi), श्वसनिका (Bronchioles), कूपिका (Alveoli) आदि सम्मिलित हैं।
  • श्वसन मांसपेशियाँ (Respiratory Muscles): मुख्य रूप से डायफ्राम। इसके संकुचन से वायु फेफड़ों में प्रविष्ट होती है और शिथिलन द्वारा बाहर निकलती है।

रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory System)

इसमें हृदय और रक्त वाहिनियाँ शामिल होती हैं। रक्त के अलावा शरीर में लसिका का भी परिवहन होता है।

  • रुधिर कोशिकाएँ (Blood Cells): तीन प्रकार की होती हैं।
  • लाल रक्त कणिकाएँ (RBCs)
  • श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBCs)
  • बिंबाणु (Platelets)
  • रक्त समूह (Blood Groups): लाल रक्त कणिकाओं पर पाए जाने वाले प्रतिजनों के आधार पर रक्त को चार समूहों में बाँटा गया है: ए, बी, एबी और ओ। आरएच प्रतिजन की उपस्थिति के आधार पर रक्त दो प्रकार का होता है: Rh+ और Rh-
  • धमनी व शिरा: जिन रक्तवाहिनियों में O2 युक्त शुद्ध रक्त प्रवाहित होता है, उन्हें धमनी तथा जो विऑक्सीजनित अपशिष्ट युक्त रक्त का परिवहन करती हैं, उन्हें शिरा कहते हैं।
  • हृदय (Heart): हृदय पेशी ऊतकों से बना मांसल खोखला और बंद मुट्ठी के आकार का लाल रंग का होता है। इस पर पाया जाने वाला आवरण हृदयावरण (Pericardium) कहलाता है। हृदय में चार कक्ष होते हैं, जिनमें दो आलिन्द (Atria) व दो निलय (Ventricles) होते हैं।

उत्सर्जन तंत्र (Excretory System)

उपापचयी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप निर्मित अपशिष्ट उत्पादों एवं अतिरिक्त लवणों को शरीर से बाहर त्यागना उत्सर्जन कहलाता है। उत्सर्जन से सम्बन्धित अंगों को सामूहिक रूप से उत्सर्जन तंत्र कहते हैं।

  • मनुष्य में निम्न उत्सर्जन अंग पाये जाते हैं:
  • वृक्क (Kidney)
  • मूत्र वाहिनियाँ (Ureters)
  • मूत्राशय (Urinary Bladder)
  • मूत्र मार्ग (Urethra)
  • नेफ्रॉन (Nephron): यह वृक्क की क्रियात्मक एवं संरचनात्मक इकाई है। उत्सर्जी उत्पाद विलेय नाइट्रोजनी यौगिकों के रूप में वृक्क में नेफ्रॉन द्वारा निकाले जाते हैं।

यौवनारम्भ (Puberty)

मानव (नर एवं मादा) में अपरिपक्व जनन अंगों का परिपक्वन होकर जनन क्षमता का विकास होना यौवनारम्भ कहलाता है। नर की अपेक्षा मादा में यौवनारम्भ पहले प्रारम्भ होता है। मानव में टेस्टोस्टेरॉन तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरान लिंग हार्मोन हैं।

मानव शरीर की संरचना और तंत्र: जनन तंत्र (Reproductive System)

जनन अंगों को प्राथमिक तथा द्वितीयक लैंगिक अंगों में विभक्त किया गया है। प्राथमिक अंग युग्मकों का निर्माण करते हैं। प्राथमिक अंगों के अलावा अन्य सभी अंग जो जनन तंत्र में कार्य करते हैं, द्वितीयक अंग कहलाते हैं।

  • नर जनन अंग: वृषण, वृषणकोष, शुक्रवाहिनी, शुक्राशय, प्रोस्टेट ग्रन्थि, मूत्र मार्ग तथा शिश्न।
  • मादा जनन अंग: अण्डाशय, अण्डवाहिनी, गर्भाशय तथा योनि।

तंत्रिका तंत्र (Nervous System)

तंत्रिका तंत्र वह अंग तंत्र है जो प्राणी के भीतर शरीर के अन्य तमाम अंग तंत्रों के कार्य करने का समन्वय एवं नियंत्रण करता है। अंत: स्रावी तंत्र के साथ मिलकर तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर के विविध अंगों तथा तंत्रों के कार्य में संचार करता है, उनका समन्वय व नियंत्रण करता है तथा शरीर के बाहरी उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करने में सहायता करता है।

  • तंत्रिका तंत्र दो भागों में विभाजित होता है:
  • केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System): इसमें मुख्य रूप से मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा इससे निकलने वाली तंत्रिका कोशिकाएँ शामिल होती हैं।
  • परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System): इसे दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:
    • कायिक तंत्रिका तंत्र (Somatic Nervous System)
    • स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System)

अन्तःस्रावी तंत्र (Endocrine System)

यह अन्तःस्रावी ग्रन्थियों (Endocrine Glands) के माध्यम से कार्य करता है। ये ग्रन्थियाँ अपना स्राव सीधे रक्त में छोड़ती हैं क्योंकि इनमें नलिका का अभाव होता है, इसलिए इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ भी कहते हैं। इन ग्रन्थियों के स्राव को हार्मोन कहते हैं।

मनुष्य की अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ:

  • हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)
  • पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland)
  • पिनियल ग्रन्थि (Pineal Gland)
  • थाइरॉइड ग्रन्थि (Thyroid Gland)
  • पैराथाइरॉइड ग्रन्थि (Parathyroid Gland)
  • अग्न्याशय (Pancreas)
  • अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal Gland)
  • थाइमस ग्रन्थि (Thymus Gland)
  • वृषण (Testes)
  • अण्डाशय (Ovary)

मानव शरीर की संरचना और तंत्र: सारणी

तंत्रमुख्य अंगमुख्य कार्य
पाचन तंत्रमुख, ग्रसनी, आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँतभोजन का पाचन और अवशोषण
श्वसन तंत्रनासिका, मुख, ग्रसनी, फेफड़े, श्वसनी, डायफ्रामऑक्सीजन का विनिमय
रक्त परिसंचरणहृदय, रक्त वाहिनियाँरक्त का परिसंचरण और परिवहन
उत्सर्जन तंत्रवृक्क, मूत्र वाहिनियाँ, मूत्राशय, मूत्र मार्गअपशिष्ट उत्पादों का निष्कासन
जनन तंत्रनर: वृषण, वृषणकोष, शुक्रवाहिनी, शुक्राशय
मादा: अण्डाशय, अण्डवाहिनी, गर्भाशय, योनि
युग्मकों का निर्माण और परिवहन
तंत्रिका तंत्रमस्तिष्क, मेरुरज्जु, तंत्रिका कोशिकाएँशरीर के कार्यों का समन्वय और नियंत्रण
अन्तःस्रावी तंत्रहाइपोथैलेमस, पीयूष ग्रन्थि, थाइरॉइड, अधिवृक्कहार्मोन का स्राव और विनियमन

मानव शरीर की संरचना और तंत्र: आरेख

मानव पाचन तंत्र

 मुख → ग्रसनी → ग्रासनली → आमाशय → छोटी आँत → बड़ी आँत → मल द्वार

श्वसन तंत्र का आरेख

नासिका → ग्रसनी → श्वास नली → फेफड़े → श्वसनी → श्वसनिका → कूपिका

इस प्रकार, मानव शरीर एक जटिल संरचना है जिसमें कोशिका से लेकर तंत्र तक सभी घटक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानव शरीर की संरचना और तंत्र: कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

कोशिका (Cell) क्या है?

कोशिका जीवन की सबसे छोटी और मूलभूत इकाई है, जो किसी भी जीवित प्राणी के शरीर की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई होती है। कोशिकाएं विभिन्न प्रकार की होती हैं और वे मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं। प्रत्येक कोशिका अपने कार्यों को करने के लिए विशिष्ट होती है और इसमें आनुवांशिक सामग्री, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और अन्य आवश्यक तत्व होते हैं।

कोशिका की खोज किसने की?

कोशिका की खोज अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने 1665 में की थी। उन्होंने अपने द्वारा निर्मित सूक्ष्मदर्शी से कॉर्क के पतले स्लाइस की जाँच की और उसमें छोटे-छोटे कक्ष (cells) देखे, जिन्हें उन्होंने “कोशिका” का नाम दिया।

कोशिका के कार्य

ऊर्जा उत्पादन: कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
पोषण और उत्सर्जन: कोशिका पोषक तत्वों का सेवन और अपशिष्ट उत्पादों का निष्कासन करती है।
विकास और वृद्धि: कोशिकाएं विभाजित होकर वृद्धि करती हैं।
अनुवांशिक जानकारी का भंडारण: कोशिका का नाभिक (nucleus) आनुवांशिक जानकारी को संचित करता है।

पाचन तंत्र के कार्य

पाचन तंत्र भोजन के सेवन से लेकर मल त्याग तक कई कार्य करता है। इसके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
भोजन का सेवन: भोजन को ग्रहण करना।
पाचन: भोजन को छोटे और सरल अणुओं में तोड़ना।
अवशोषण: पोषक तत्वों को रक्त में अवशोषित करना।
उत्सर्जन: अपचित भोजन और अवशिष्ट पदार्थों को मल द्वारा बाहर निकालना।

श्वसन क्या है?

श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जीव वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। यह प्रक्रिया जीव के ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक है।

श्वसन तंत्र के कार्य

श्वसन तंत्र का मुख्य कार्य ऑक्सीजन को वातावरण से ग्रहण करना और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना है। इसके अन्य महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं:
वायु का ग्रहण: नाक और मुख के माध्यम से वायु का प्रवेश।
वायु का परिवहन: श्वास नली और ब्रोंकाई के माध्यम से फेफड़ों तक वायु का परिवहन।
गैसों का विनिमय: फेफड़ों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का विनिमय।
वायु का निष्कासन: कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना।

मानव शरीर में कितनी कोशिकाएं होती हैं?

मानव शरीर में लगभग 37.2 ट्रिलियन कोशिकाएं होती हैं। हालांकि यह संख्या व्यक्ति के आकार और स्वास्थ्य पर निर्भर कर सकती है।

श्वसन के प्रकार क्या हैं?

बाह्य श्वसन (External Respiration): वायु के साथ फेफड़ों में गैसों का विनिमय।
आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration): कोशिकाओं और रक्त के बीच गैसों का विनिमय।

पाचन तंत्र के मुख्य अंग कौन-कौन से हैं?

पाचन तंत्र के मुख्य अंग हैं:
मुख (Mouth)
ग्रसनी (Pharynx)
ग्रासनली (Esophagus)
आमाशय (Stomach)
छोटी आँत (Small Intestine)
बड़ी आँत (Large Intestine)
मल द्वार (Anus)

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